शिव पूजा हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। भगवान शिव, जिन्हें महादेव के नाम से भी जाना जाता है, त्रिमूर्ति में से एक हैं और उन्हें संहार के देवता के रूप में पूजा जाता है। शिव पूजा विशेष रूप से उनके भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है क्योंकि शिव जी को बहुत ही सरलता और भक्ति से प्रसन्न किया जा सकता है।
शिव पूजा का महत्व:
कल्याणकारी और संहारक: भगवान शिव को संहार और पुनर्निर्माण के देवता के रूप में जाना जाता है। वे संसार के विनाश के बाद उसे पुनः निर्माण करने वाले माने जाते हैं।
मुक्तिदाता: शिव पूजा से व्यक्ति को जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भक्तवत्सल: शिव जी अपने भक्तों के प्रति अत्यंत दयालु और करुणामय माने जाते हैं। उनकी पूजा सरलता से की जा सकती है और वह शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।
मानसिक शांति: शिव पूजा करने से मानसिक शांति और आंतरिक शक्ति की प्राप्ति होती है।
धन, स्वास्थ्य और सुख: शिव जी की कृपा से व्यक्ति को धन, स्वास्थ्य और सुख की प्राप्ति होती है।
शिव पूजा के प्रकार:
रुद्राभिषेक: यह भगवान शिव के अभिषेक का एक विशेष प्रकार है, जिसमें शिवलिंग का जल, दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर से स्नान कराया जाता है। इसके साथ रुद्र मंत्रों का पाठ किया जाता है।
बिल्वपत्र अर्पण: भगवान शिव को बिल्वपत्र (बेलपत्र) अत्यंत प्रिय हैं। शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाने से शिव जी शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
शिव चालीसा और मंत्रों का पाठ: शिव चालीसा और विभिन्न शिव मंत्रों का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
महाशिवरात्रि पूजा: महाशिवरात्रि भगवान शिव का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन विशेष अनुष्ठान और रात्रि जागरण कर शिव जी की पूजा की जाती है।
शिव पूजा की सामग्री:
शिवलिंग (मूर्ति या प्रतीक रूप में)
जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर (अभिषेक के लिए)
बिल्वपत्र, आक, धतूरा
धूप, दीप, कपूर
चंदन, कुमकुम, और हल्दी
फूल (विशेषकर सफेद या लाल फूल)
भांग, नारियल, और मिठाई
रुद्राक्ष माला (मंत्र जप के लिए)
शिव पूजा की विधि:
स्थल की शुद्धि: पूजा स्थल को साफ और पवित्र किया जाता है। शिवलिंग को स्वच्छ स्थान पर रखा जाता है।
आवाहन (भगवान का आह्वान): भगवान शिव का आह्वान करते हुए उन्हें पूजा स्थल पर बुलाया जाता है।
अभिषेक: शिवलिंग का जल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक किया जाता है। अभिषेक के दौरान शिव मंत्रों का उच्चारण किया जाता है:
ॐ नमः शिवाय
महा मृत्युंजय मंत्र:
"ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥"
बिल्वपत्र अर्पण: अभिषेक के बाद शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाए जाते हैं। इस दौरान यह ध्यान रखना चाहिए कि तीन पत्तों वाला बिल्वपत्र ही अर्पित करें और पत्ते कहीं से कटे या टूटे हुए न हों।
धूप-दीप और कपूर: भगवान शिव को धूप, दीप और कपूर अर्पित किए जाते हैं।
फूल और भांग अर्पण: शिवलिंग पर फूल अर्पित किए जाते हैं और शिव जी को प्रिय भांग भी चढ़ाई जाती है।
मंत्र और स्तुति: शिव जी की स्तुति करते हुए शिव चालीसा का पाठ किया जाता है। इसके बाद महा मृत्युंजय मंत्र या अन्य शिव मंत्रों का जाप किया जाता है।
आरती: अंत में भगवान शिव की आरती की जाती है और सभी उपस्थित लोग आरती में भाग लेते हैं। आरती के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है।
महाशिवरात्रि:
महाशिवरात्रि शिव जी का प्रमुख पर्व है, जो फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का दिन माना जाता है। इस दिन भक्त रात्रि जागरण करते हैं, शिवलिंग पर विशेष अभिषेक करते हैं, और शिव जी के मंत्रों का जाप करते हैं। महाशिवरात्रि की पूजा रात्रि के चार प्रहरों में की जाती है, और हर प्रहर में शिवलिंग पर जल, दूध और बिल्वपत्र अर्पित किए जाते हैं।
शिव पूजा के लाभ:
कष्टों का निवारण: शिव जी की पूजा से जीवन में आने वाले कष्ट और दुख दूर होते हैं।
धन और समृद्धि: शिव जी की कृपा से परिवार में धन और समृद्धि का वास होता है।
आध्यात्मिक उन्नति: शिव पूजा से व्यक्ति की आत्मिक शक्ति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
स्वास्थ्य और दीर्घायु: महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करने से बीमारियों का नाश होता है और दीर्घायु प्राप्त होती है।
मोक्ष की प्राप्ति: शिव जी की उपासना से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शिव जी के प्रिय वस्त्र और आभूषण:
शिव जी को रुद्राक्ष और बाघंबर धारण करने वाले देवता माना जाता है। उनका माथे पर चंदन और त्रिपुंड (तीन रेखाएँ) होता है।
वे गले में नागों की माला पहनते हैं और उनके सिर पर गंगा और चंद्रमा विराजमान होते हैं।
शिव जी के साथ त्रिशूल और डमरू का विशेष महत्व होता है।
शिव मंत्र:
ॐ नमः शिवाय: यह भगवान शिव का सबसे प्रमुख और सरल मंत्र है। इसका जाप करने से शिव जी की कृपा प्राप्त होती है।
महा मृत्युंजय मंत्र: यह मंत्र जीवन के संकटों को दूर करने और दीर्घायु प्राप्त करने के लिए जपा जाता है।
शिव पूजा एक आध्यात्मिक साधना का प्रतीक है, जो व्यक्ति को भक्ति, शक्ति, और शांति प्रदान करता है। शिव जी की पूजा न केवल धार्मिक महत्व रखती है बल्कि यह व्यक्ति को आत्मज्ञान की ओर अग्रसर करने वाली भी मानी जाती है।
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