नवग्रह पूजा का उद्देश्य व्यक्ति के जीवन में ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम करना और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देना है। हिन्दू ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवग्रह (नौ ग्रह) हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। इन ग्रहों की स्थिति और चाल से व्यक्ति के जीवन में सुख-दुख, स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति और पारिवारिक जीवन प्रभावित होता है।
नवग्रह (नौ ग्रह):
सूर्य (Sun): आत्मा, शक्ति और स्वास्थ्य का कारक ग्रह।
चंद्रमा (Moon): मन, भावनाओं और मानसिक शांति का प्रतीक।
मंगल (Mars): शक्ति, साहस, और ऊर्जा का कारक।
बुध (Mercury): बुद्धिमत्ता, तर्कशक्ति और व्यापार का कारक।
बृहस्पति (Jupiter): ज्ञान, शिक्षा, और धार्मिकता का प्रतीक।
शुक्र (Venus): प्रेम, सौंदर्य, और वैवाहिक जीवन का कारक।
शनि (Saturn): न्याय, कर्म, और कठिनाइयों का प्रतीक।
राहु (Rahu): छाया ग्रह, जो अप्रत्याशित घटनाओं और भ्रम का प्रतीक है।
केतु (Ketu): छाया ग्रह, जो आध्यात्मिकता और मुक्ति का प्रतीक है।
नवग्रह पूजा का महत्व:
कुंडली में ग्रहों की स्थिति से उत्पन्न दोषों और परेशानियों को शांत करने के लिए नवग्रह पूजा की जाती है। यह पूजा व्यक्ति को ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा से बचाने और उनके अनुकूल प्रभाव को बढ़ाने का कार्य करती है। नवग्रह पूजा से स्वास्थ्य, शिक्षा, वैवाहिक जीवन, धन-संपत्ति, और मानसिक शांति में सुधार होता है।
नवग्रह पूजा का उद्देश्य:
ग्रह दोषों को शांत करना।
ग्रहों के अनुकूल प्रभाव को बढ़ाना।
सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त करना।
जीवन की विभिन्न समस्याओं को दूर करना, जैसे स्वास्थ्य, विवाह, करियर, और आर्थिक समस्याएं।
नवग्रह पूजा की विधि:
स्थल की शुद्धि: पूजा स्थल को गंगाजल या पवित्र जल से शुद्ध किया जाता है।
गणेश पूजा: सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है ताकि पूजा निर्विघ्न संपन्न हो सके।
कलश स्थापना: पूजा के लिए कलश स्थापित किया जाता है, जो ब्रह्मांड की प्रतीकात्मक स्थापना होती है।
नवग्रहों का आह्वान: नौ ग्रहों का आह्वान किया जाता है और उन्हें मंत्रों द्वारा आमंत्रित किया जाता है।
मंत्र जप: प्रत्येक ग्रह के लिए विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। ये मंत्र उस ग्रह की शांति और अनुकूलता के लिए होते हैं।
उदाहरण के लिए, सूर्य के लिए मंत्र: "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः"
हवन: नवग्रह पूजा के अंत में हवन किया जाता है, जिसमें नौ ग्रहों के नाम पर आहुति दी जाती है।
दान: पूजा के बाद ब्राह्मणों को दान और दक्षिणा दी जाती है। ग्रहों की शांति के लिए वस्त्र, अन्न, और धातुओं का दान भी किया जाता है।
ग्रहों से संबंधित कुछ सामान्य उपाय:
सूर्य: तांबे के बर्तन में जल भरकर सूर्य देव को अर्घ्य देना।
चंद्रमा: सोमवार के दिन व्रत रखना और दूध या चावल का दान करना।
मंगल: मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा और मूंगा धारण करना।
बुध: हरे वस्त्र पहनना और बुध मंत्रों का जाप करना।
बृहस्पति: पीले वस्त्र धारण करना और केले का दान करना।
शुक्र: शुक्रवार को देवी लक्ष्मी की पूजा और सफेद वस्त्र पहनना।
शनि: शनिवार के दिन शनि देव की पूजा और तेल, काले तिल का दान करना।
राहु: राहु के लिए नीले या काले वस्त्र पहनना और तांबे का दान करना।
केतु: केतु के लिए धार्मिक कर्मकांड और मंत्र जाप करना।
नवग्रह पूजा के लाभ:
जीवन में सुख, शांति और समृद्धि।
ग्रहों की अनुकूलता से करियर में सफलता।
स्वास्थ्य में सुधार और बीमारियों से मुक्ति।
विवाह में आ रही अड़चनों का समाधान।
मानसिक शांति और तनाव से मुक्ति।
नवग्रह पूजा का मुख्य उद्देश्य ग्रहों की स्थिति से उत्पन्न समस्याओं को दूर करना और उनके सकारात्मक प्रभावों का लाभ उठाना है। इसे व्यक्ति की कुंडली और ग्रह दोष के अनुसार ज्योतिषी की सलाह पर किया जाता है।
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