नवमी नवरात्रि का नौवां दिन है, जो देवी दुर्गा की पूजा का अंतिम दिन माना जाता है। इसे विशेष रूप से सिद्धिदात्री देवी की आराधना के लिए मनाया जाता है। यहाँ नवमी के महत्व और पूजा की विशेषताएँ दी गई हैं:
नवमी का महत्व:
सिद्धिदात्री देवी की पूजा:
नवमी के दिन देवी सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है, जो सभी सिद्धियों और सफलताओं की देवी हैं। उन्हें शक्ति, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
कन्या पूजन:
इस दिन भक्त विशेष रूप से नव दुर्गा की पूजा के रूप में नौ कुंवारी कन्याओं (कन्याभोज) को आमंत्रित करते हैं और उनका पूजन करते हैं। यह परंपरा शक्ति और भक्ति का प्रतीक है।
व्रत का समापन:
नवमी का दिन उन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है जिन्होंने नवरात्रि के दिनों में व्रत रखा है। इस दिन व्रत का समापन किया जाता है, और देवी की कृपा के लिए प्रार्थना की जाती है।
उत्सव और हवन:
भक्तगण इस दिन विशेष हवन और अनुष्ठान करते हैं, जिससे देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने की कोशिश की जाती है।
दशहरा का पूर्वसूचक:
नवमी के दिन के बाद दशहरा (विजयादशमी) का त्योहार आता है, जिसमें बुराई पर अच्छाई की विजय का जश्न मनाया जाता है। यह दिन देवी दुर्गा के महिषासुर पर विजय प्राप्त करने का भी प्रतीक है।
नवमी का दिन शक्ति, भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। देवी सिद्धिदात्री की आराधना से भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
नवमी का महत्व
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