पितृ दोष पूजा
पितृ दोष पूजा एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान है, जो उन लोगों द्वारा किया जाता है जिनकी कुंडली में पितृ दोष होता है या जिन्हें अपने पूर्वजों की आत्माओं के असंतोष का अनुभव होता है। पितृ दोष पूजा का उद्देश्य पूर्वजों (पितरों) की आत्माओं को तृप्त करना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना होता है ताकि परिवार की समस्याओं और बाधाओं को दूर किया जा सके। इस पूजा को सही तरीके से और विधिवत करने से पितृ दोष के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
पितृ दोष पूजा का महत्व:
पितृ दोष का अर्थ है कि किसी व्यक्ति के पूर्वजों की आत्माओं को शांति नहीं मिली है, या उनके लिए श्राद्ध और तर्पण जैसे धार्मिक कर्मकांड सही ढंग से नहीं किए गए हैं। यह पूजा पूर्वजों की आत्माओं को संतुष्ट करने के लिए की जाती है, जिससे वे परिवार को सुख, शांति, और समृद्धि का आशीर्वाद दें।
पितृ दोष पूजा करने का समय:
पितृ दोष पूजा का सबसे उपयुक्त समय पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) होता है, जो भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलता है। इस समय को पितरों का समय माना जाता है, जब उनकी आत्माएं धरती पर आती हैं और वंशजों द्वारा किए गए तर्पण और श्राद्ध को स्वीकार करती हैं।
अगर किसी कारणवश पितृ पक्ष में यह पूजा नहीं की जा सके, तो अमावस्या या सोमवार को भी पितृ दोष निवारण पूजा की जा सकती है।
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