काल सर्प योग

कालसर्पयोगः ज्योतिषशास्त्रे एकः महत्त्वपूर्णः योगः मन्यते, यः तदा भवति यदा जातकस्य जन्मकुण्डल्यां सर्वे ग्रहाः राहु-केत्वोः
मध्ये स्थिताः भवन्ति। अस्य योगस्य कारणेन जातकः विविधाः समस्याः, बाधाः, क्लेशाः च अनुभवति इति प्रतिपाद्यते।

एक ज्योतिषीय धारणा है जो भारतीय वैदिक ज्योतिष में मानी जाती है। यह योग तब बनता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु
(उत्तर दिशा का चंद्रमा ग्रह) और केतु (दक्षिण दिशा का चंद्रमा ग्रह) के बीच आ जाते हैं। इसे एक अशुभ योग माना जाता है, जो जीवन में कई
कठिनाइयों और बाधाओं का कारण बन सकता है।

काल सर्प योग के प्रकार:

कालसर्पयोगस्य द्वादश प्रकाराः सन्ति, यानां नामानि निम्नप्रकारेण निर्दिष्टानि सन्ति –
काल सर्प योग के कुल 12 प्रकार होते हैं, जो राहु और केतु की स्थिति के आधार पर होते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख प्रकार हैं:

  1. अनंत काल सर्प योग: जब राहु प्रथम भाव में और केतु सप्तम भाव में होता है।

  2. कुलिक काल सर्प योग: राहु द्वितीय भाव में और केतु अष्टम भाव में होता है।

  3. वासुकी काल सर्प योग: राहु तृतीय भाव में और केतु नवम भाव में होता है।

Kaal Sarp Yog

Kaal Sarp Yog (also spelled as Kal Sarp Yoga) is an astrological condition in Vedic astrology that occurs when all seven major planets (Sun, Moon, Mars, Mercury, Jupiter, Venus, and Saturn) are positioned between the shadow planets Rahu (North Node) and Ketu (South Node) in a person’s birth chart (kundli).

This yoga is often considered malefic, signifying challenges and obstacles in various aspects of life such as career, health, relationships, and financial stability. It is believed that individuals with Kaal Sarp Yog may experience delays or difficulties in achieving success, and may have to work harder to overcome adversities. However, it’s also said that this yoga can instill determination and spiritual growth, enabling a person to rise above challenges with perseverance.

Key Features of Kaal Sarp Yog:
  1. Formation: All planets are positioned between Rahu and Ketu in a birth chart, forming a snake-like pattern, with Rahu as the head and Ketu as the tail.

  2. Types: There are different types of Kaal Sarp Yog based on the positions of Rahu and Ketu. Some of the common types include Anant Kaal Sarp Yog, Kulik Kaal Sarp Yog, Vasuki Kaal Sarp Yog, and Shankhpal Kaal Sarp Yog, each associated with specific areas of life.